शिव की महिमा में लीन होने के पल: महाशिवरात्रि विशेष

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शिव की महिमा – समन्वयवादी सनातन परंपरा

हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा समन्वयवादी रही है, जब हम अपनी सनातन परंपरा को देखते हैं, उसके बारे में जानने का प्रयास करते हैं तो स्पष्ट होता है कि यहां विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत समन्वय है।

विज्ञान और अध्यात्म –

अगर विज्ञान और अध्यात्म की बात की जाए तो दोनों ही दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं जिनसे हमें दुनिया को समझने और सीखने का अवसर मिलता है।

इससे से हमें भौतिक पहलुओं को समझने में सहायता मिलती है, जबकि अध्यात्म से हमें आंतरिक जगत और जीवन के अर्थ को समझने में मदद मिलती है।

विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय –

अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि दोनों दृष्टिकोण एक दूसरे के पूरक बन सकते हैं। विज्ञान से हमें बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, वहीं दूसरी ओर अध्यात्म से हमें उस जानकारी को समझने और उसका अर्थ निकालने में मदद मिलती है।

विज्ञान और अध्यात्म दोनों के समन्वय से हम बाहरी दुनिया और आंतरिक जीवन के बारे में एक पूर्ण और संतुलित दृष्टिकोण प्राप्त कर सकते है।

हम देखते हैं कि हमारी सनातन परंपरा समन्वयवादी रही है। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्रभु राम के मुख से कहलवाया है कि –

“शिव द्रोही मम दास कहावा,

सो नर सपनेहुँ मोहि न पावा।”

इन पंक्तियों में शैव और वैष्णव सम्प्रदाय में समन्वय स्थापित हो रहा है। इसी तरह पूरी रामचरितमानस, समन्वयवादी दृष्टिकोण का उत्कृष्ट उदाहरण है।

कमल किशोर राजपूत “कमल” जी –

हम सबका सौभाग्य है कि “चुभन” से एक ऐसी शख्सियत जुड़ी हुई हैं, जिन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष एक वैज्ञानिक के रूप में बिताए और न सिर्फ बिताए बल्कि एक सफल वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा की, लेकिन कहते हैं कि प्रभु की इच्छा हो तो बहुत कुछ ऐसा भी होता है, जिसके बारे में हमलोग शायद सोचते भी नही।

कमल किशोर राजपूत जी के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने अब अपना सम्पूर्ण जीवन साहित्य और अध्यात्म के लिए समर्पित कर दिया है और अपने इस आध्यात्मिक साहित्य के सफर में वे कई मुकाम हासिल कर चुके हैं।

शिवोहम बंगलुरू के मंदिर की प्रतिमा🔱🪷🔱

आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर कमल किशोर राजपूत जी की यह रचना अवश्य पढ़ें। दिल की पुकार है –

महाशिवरात्रि के पूज्य अवसर पर कमल की विशेष प्रार्थना शिव भोले के नाम- शिव की महिमा 🔱

ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय …….
जय भोले, जय जय शिव शम्भू, तेरी महिमा अपार
मन से जो भी सुमिरन करता, होता बेड़ा पार ..
रे मनवा होता बेड़ा पार, रे होता बेड़ा पार,
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय

शिव भक्ति ही सुख का सागर, शिव में जग है समाया ..
गा ले मनवा शिव की महिमा, छोड़ के जग की माया  ..
अर्पण कर दे उसको सब कुछ, वो सच्चा करतार ..
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय

शिव का डमरू बाजे डम-डम, बहती गँगा रोज़ निरन्तर ..
चन्द्र कला है जटा के अन्दर, बैरागी मनवा है अन्तर  ..
महाकाल तीर्थों का तीरथ, घट-घट में विस्तार ..
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय

ह्रुदय-कुंज में जो भी बसाये, भवसागर से वो तर जाये  ..
भस्म करे वो सारे अवगुण, ध्यान करो तो वो आ जाये ..
तिरकूटी में मनवा खोजा, आशीषों का भन्ड़ार ..
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय

द्वार तिहारे जो भी आये, खुल जाए क़िस्मत के द्वार, हे भोले खुल जाए क़िस्मत के द्वार ..
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय …….

  – कमल।

चित्र साभार : कमल किशोर राजपूत जी के सौजन्य से।

One thought on “शिव की महिमा में लीन होने के पल: महाशिवरात्रि विशेष

  1. हार्दिक बधाइयाँ महाशिवरात्रि के पुनीत अवसर पर और हार्दिक आभार आज के दिन अपनी भावनाओं को सब तक पहुँचाया 🔱🪷🙇🪷🔱

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